आ बैठ सिरहाने जिंदगी,
दो घूंट सबर ले जिंदगी.....
आ बैठ सिरहाने जिंदगी...
दुखों का टूटता पहाड़ देख,
मुझमें अडिग विश्वास देख.....
देख सबर की प्रकाष्ठा,
छलनी मेरे पांव देख....
आ देख खामोशी जमाने की,
मुझमें उठता तूफान देख..
आ बैठ सिरहाने जिंदगी,
दो घूंट सबर ले जिंदगी....
समय रथ की चाल देख,
मंगल अमंगल, शुभ अशुभ,
पग पग परीक्षाकाल देख.....
देख चराचर सहगामी...
मुझमें सिमटा एकांत देख.....
तूं अहसान भूलता इंसान देख,
उनको मेरे लिए बुनता जाल देख...
आ बैठ सिरहाने जिंदगी,
दो घूंट सबर ले जिंदगी.....
अधरों में झूलते ख्वाब देख,
निज दिन उठते सवाल देख....
तूं अंतर-मन के घाव देख,
ठोकरों से भी सीखता इंसान देख...
देख जरा आत्म-शक्ति,
खंडहरों पर बनता मेरा मकान देख...
जो मुश्किल दौर में निडर डटे,
आदम कितना महान देख....
आ बैठ सिरहाने जिंदगी, दो घूंट सबर धर जिंदगी...
मुझसे सीख तूं जिंदगी, आ जीना सीख तूं जिंदगी...
आ बैठ सिरहाने जिंदगी...........२
👌👌👍👍😍😍😍😘😘😘
ReplyDeleteWa जिंदगी wa sandar अति उत्तम 👏👏👏👏
ReplyDelete🥺😔🙃👍👍🎉🎉🎉
ReplyDeleteअरि ज़िंदगी देख,तू किस कदर काटता संसार देख, अरि ज़िंदगी देख, तू अपने आप में न सिमट,किस कदर भागता संसार देख तू।।।
ReplyDeleteशानदार
ReplyDeleteSuper 👍
ReplyDelete👌👌👌
ReplyDelete👌👌
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