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Wednesday, 5 March 2025

वो चाहते है

 एक वो जो पीठ पर वार करते है...

अपनी आंखों में मेरे लिए खार करते है...

फिर वो चाहते है कि मैं उन्हीं के शब्दों की गजल लिखूं..

जिसमें मेरी मौत का सामान हो...

जिसमें मेरे ही खिलाफ जंग का ऐलान हो..

और हर आदमी पढ़ के हैरान हो...

फिर भी मैं सबकी उम्मीदों पर आता हूं...

कड़वे सवालों को भी घेर कर लाता हूं...

ऊपर से ये की मैं तुम्हारे भी सवालों को जवाब लिखूं...

जिसे पढ़ कर मेरे ही खिलाफ कोई आगाज हो...

मेरे दुश्मन ही मेरे यार हो...

उन पर मेरा ही दिया हुआ हथियार हो...

उस पर ये कि मैं उन्हीं का घोला हुआ जहर पीऊं...

ताकि बंदा मर के भी उन पर अहसान हो...

तमाशबीन देख कर भी हैरान हो..

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लिख लिख कलम भी तोड़ी मैंने, बात शब्दों की डोर से पिरोई मैंने। कोरा कागज और लहू का कतरा, बस यही एक अधूरी दवात छोड़ी मैंने.....!! ......