एक बसा शहर फिर उजड़ रहा है.....
और तो बस दुनिया में क्या चल रहा है.....
वक्त बुरा चल रहा है.....
सवाल एक अधूरा चल रहा है....
जख्म कुछ गहरा चल रहा है....
नींदों पर इंतजार का पहरा चल रहा है....
सब पुरानी है खबरें, कहां कुछ नया चल रहा है....
और तो बस दुनिया में क्या चल रहा है......!!
एक पतझड़ चल रहा है....।
माहौल सारा गड़बड़ चल रहा है....
मन में उलझनों का ताना बाना चल रहा है....
नींदों का सपनों में ही आना जाना चल रहा है....
ये भी कहां नया चल रहा है....
और तो बस दुनिया में क्या चल रहा है....!!
खबरें सब बासी है, हालातों की......
ये दौर भी मेरे ख्याल से, पुराना चल रहा है.....
आंखे पत्थर है, स्याह सफेदी का बोझ लिए...
ये अंधेर मंजर भी सदियों पुराना चल रहा है...
और तो बस दुनिया में क्या चल रहा है....!!
ऋतुएं बदल रही है, मौसम की तरह....
महीने बदल रहे है, दिनों की तरह....
दिन कट रहे दफ्तरों में....
रातों भर नींदों का बहाना चल रहा है...
बस वही दौर पुराना चल रहा है...
और तो बस दुनिया में
क्या चल रहा है....!!
Woowww 👌👌
ReplyDelete👍 awesome
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