तेरे शहर जो आऊं,कभी वक्त बेवक्त....
नाराजगी ठीक है .......अपनी जगह है.....
मत करना गुफ्तगू, चाहो तो हमसे नजरें चुरा लेना.......!!
...मगर
एक दरख्वास्त है मेहरमां अजीज तुमसे,
बस लौटते वक्त अदरक वाली चाय ....पिला देना...!!...
2nd
चलो नज्मों को अदरक वाली चाय पिलाते है....
आधा कप, तेज पत्ती वाली चाय
अधूरी बातें और कुछ बेतुकी राय
कुछ मुझमे बसी तुम,कुछ तुझ में बचा मैं
चलो कुछ अधूरे किस्से सुनाते है
चलो नज्मों को अदरक वाली चाय पिलाते है....!!
3rd
गर उसके शहर फिर कभी जाना होगा...
नमकीनों के शहर में, उसे मेरी चाय पर आना होगा....
यूँही नशे सी बदनाम नही है अदरक वाली
दिसम्बर की ठंड में भी, उसे बिना स्वेटर के आना होगा.....
अलाव तापते तापते सुनेंगे उनके मासूम सवाल
मुस्कुरा कर टालूँगा देर रात तक......
मग़र चाय ठंडी होने से पहले मुझे जबाब पर आना होगा
गर उसके शहर फिर कभी जाना होगा....
4th
तुमसे बेहतर इश्क़ मुझसे कौन निभाएगा....
मेरे पसंद की अदरक वाली चाय मुझे कौन पिलायेगा...
5th
एक अधूरा खत और एक अधूरा पता
एक अधूरी गजल और एक छोटी सी खता
वो तेरा शहर और वो ठंडी शाम.....
बस वही एक आखिरी चाय , तेरे इंतजार में छोड़ी मेने....
बस यहीं एक नज़्म अधूरी छोड़ी मेने......
#sharma_deepu poetry for #tea_lover
#chay #tea #adarakWaliChay
Wah wah
ReplyDelete