सुनो इस दुर्गम दुर्जन राह से कुछ फकीर गुजरें है,
कोई अनुचर ना आ पाए इस रस्ते पे भूल से भी कभी.
मिटा के पैरों के निसान गुजरें है....!!
सुनो इस दुर्गम दुर्जन राह से कुछ फकीर गुजरे है..!!
कुछ तो रस्ते मे ही सिमट गए लहू
होकर,
जो पा गए मंजिल सपनो की,
ये समझो की वो करके अहसान गुजरे है....
सुनो इस दुर्गम दुर्जन राह से कुछ फकीर गुजरे है..!!
आओ कुछ खूबियां दिखाता हूँ तुम्हें मेरे पथ की
रस्ते पे बिखरा लहू कह रहा है
जो भी गुजरें है इस राह से, नंगे पांव गुजरें है...!!
ये वोही रास्ता है जहां से संत कबीर गुजरें है....!!
सुनो इस दुर्गम दुर्जन राह से कुछ फकीर गुजरें है...!!
कोई अनुचर ना आ पाए इस रस्ते पे भूल से भी कभी.
मिटा के पैरों के निसान गुजरें है....!!
सुनो इस दुर्गम दुर्जन राह से कुछ फकीर गुजरे है..!!
कुछ तो रस्ते मे ही सिमट गए लहू
होकर,
जो पा गए मंजिल सपनो की,
ये समझो की वो करके अहसान गुजरे है....
सुनो इस दुर्गम दुर्जन राह से कुछ फकीर गुजरे है..!!
आओ कुछ खूबियां दिखाता हूँ तुम्हें मेरे पथ की
रस्ते पे बिखरा लहू कह रहा है
जो भी गुजरें है इस राह से, नंगे पांव गुजरें है...!!
ये वोही रास्ता है जहां से संत कबीर गुजरें है....!!
सुनो इस दुर्गम दुर्जन राह से कुछ फकीर गुजरें है...!!
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