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Saturday, 17 February 2024

मिनखां

 


कट्ठ: सुत्यो रे मिनखां..... क्यूं मिनख जूणी  रो नाश कर:.....

तूं लखदातार कहीज मिनखां..... क्यूं रिपीय रिपिय री बात कर...

क्यूं कूड़ रा सौदा कर: मिनखां..... क्यूं पाप रो घड़ियो भर:....

आ मिनख जूणी मिली मिनखां....कोई साचां शब्दां रो बोपार कर:

कट्ठ: सुत्यो रे मिनखां..... क्यूं मिनख जूणी रो नाश कर:.....

आपा सगळा री बात करो मिनखां... क्यूं आप आप री जात कर:

किन बिसर बैठ्यो मिनखां.... क्यूं खरड़: ठीय उजास कर:

आपा सगळा रो मेळो मिनखां... कोई सुख दुख रो साथ कर:

कट्ठ: सुत्यो रे मिनखां..... क्यूं मिनख जूणी रो नाश कर:.....

क्यूं भाइपो छोड: रे मिनखां..... क्यूं समाज म अड़कांस कर:

क्यूं राम नीसरयो फिर: मूरखा.... क्यूं रिपियां पर मर: मूरखा...

क्यूं मिनखा रो बैरी बण: मिनखां..... कोई सुरसती मुख माथे बास कर:

कट्ठ: सुत्यो रे मिनखां..... क्यूं मिनख जूणी रो नाश कर:.....

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