कट्ठ: सुत्यो रे मिनखां..... क्यूं मिनख जूणी रो नाश कर:.....
तूं लखदातार कहीज मिनखां..... क्यूं रिपीय रिपिय री बात कर...
क्यूं कूड़ रा सौदा कर: मिनखां..... क्यूं पाप रो घड़ियो भर:....
आ मिनख जूणी मिली मिनखां....कोई साचां शब्दां रो बोपार कर:
कट्ठ: सुत्यो रे मिनखां..... क्यूं मिनख जूणी रो नाश कर:.....
आपा सगळा री बात करो मिनखां... क्यूं आप आप री जात कर:
किन बिसर बैठ्यो मिनखां.... क्यूं खरड़: ठीय उजास कर:
आपा सगळा रो मेळो मिनखां... कोई सुख दुख रो साथ कर:
कट्ठ: सुत्यो रे मिनखां..... क्यूं मिनख जूणी रो नाश कर:.....
क्यूं भाइपो छोड: रे मिनखां..... क्यूं समाज म अड़कांस कर:
क्यूं राम नीसरयो फिर: मूरखा.... क्यूं रिपियां पर मर: मूरखा...
क्यूं मिनखा रो बैरी बण: मिनखां..... कोई सुरसती मुख माथे बास कर:
कट्ठ: सुत्यो रे मिनखां..... क्यूं मिनख जूणी रो नाश कर:.....
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