ये सफर आखरी है, लाजमी है कि खुद को कहीं क्षणभर ,ठहरा दिया जाए...
दो बख्त खुद को पहरा दिया जाए....
कूच करेंगे नए जोश से ..
आज के लिए इन्हीं दुर्गों पर विजयध्वज, फहरा दिया जाए....!!
ये सफर आखरी है, लाजमी है कि खुद को कहीं क्षणभर, ठहरा दिया जाए...
घड़ी दो घड़ी, आराम किया जाए...
एक रात, मेरे कदमों में बिछाई जाए....
नींद आए सुकून से, कि मुझ पर पहरे दिए जाए...
ऐलान सुनाया जाए...एक रात के लिए मेरे ख्वाब रोके जाए...
कल का सूरज हम लाल देखेंगे....
उठेंगे ,लड़ेंगे, गिरेंगे और फिर उठकर हम काल देखेंगे....
गले मिलेंगे दोनो बाजुएं खोलकर लाल लहू से...
आन -बान, रण -प्रण, काली -कपाली,....ये सब आखरी बार दोहरा दिया जाए
ये सफर आखरी है, लाजमी है कि खुद को कहीं क्षणभर ,ठहरा दिया जाए...
😘😘👌👌
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