आहिस्ता आहिस्ता जिंदगी में सुकून आ रहा है.....
आहिस्ता आहिस्ता जख्मों से खून आ रहा है.....
सब्र है कि ठंडी नहीं पड़ी अभी नशें मेरी.....
आहिस्ता आहिस्ता लहू में भी जून आ रहा है....!!!
मेरी कलम की स्याही सूखी नहीं अभी.....
मुझमें आहिस्ता आहिस्ता लिखने का जनून आ रहा है...
वो जो काटे है मेने दरखत नीरस वक्त के.....
वो जो लिख कर काटे है मैने शब्द रक्त के......
सब अजनबी चेहरों से वाकिफ हो आया दौर ए इल्म में
आहिस्ता आहिस्ता मुझमें सब्र का खून आ रहा है...
आहिस्ता आहिस्ता जिंदगी में सुकून आ रहा है.....!!!
Waaa !! Waa!!!?
ReplyDeleteGjb Guru
ReplyDeleteआन्दो धीर धीर कोई चीज आव बा काम गी हुव🙈waa wala👌
ReplyDeleteJo chahiye wahi aa rha hai
ReplyDeleteWah
ReplyDelete