MY WEBSITE

http://sharmadeepu.in/

Monday, 15 August 2022

ख्वाब

 वो सब ख्वाब थे,

जो उड़ने आए थे,

मेरे पास,

अपने टूटे पंख लेकर.....

जिन पर कई निशान लगे थे,

चोटों के, घावों के...

 जिनसे रिसता खून 

बयां करता था कहानी

उस मंजर की,

कि कैसे वो लड़कर आए होंगे

जंजीरों से.....और अपनी तकदीरों से....

ये खग अब नभ देखेंगे...

उड़ते हुए आसमान की छत देखेंगे....

ये जमीं की हैसियत का मजाक बनाएंगे....

ये खुद को गगन का सरताज बनाएंगे....

ये ख्वाब अब निकल चुके है

अपनी मंजिल की ओर....

फिर से तूफानों से लड़ने....

अंधकार से लड़ने...

जंजीरों की दुनिया से कहीं दूर....

ये रास्ता अब मुकाम को जाएगा....

ये ख्वाब अब मेरे गाम (गांव) तक जाएगा...

कहां रुकते है सफरी, क्षणिक छांव में..

कहां रुकते है परदेशी, बेगाने गांव में...




2 comments:

  1. मन को एकाग्र चित्त में लाने के लिए इस प्रकार की लाइनों को जींदगी में उतारना बहुत जरूरी है। और ये तभी संभव होता है जब आप जेसे लोगो का हमारे जीवन में पग फेरा होता हैं। एक बार फिर से तारीफ करने का मन कर रहा है- मन को मोहने वाली लाइनें 😍😍🙏🙏

    ReplyDelete
    Replies
    1. Aabhar, dhanyawaad aapka support ese hi bna rhe

      Delete

Popular Posts

Featured Post

Click Bitz - अधूरी दवात

लिख लिख कलम भी तोड़ी मैंने, बात शब्दों की डोर से पिरोई मैंने। कोरा कागज और लहू का कतरा, बस यही एक अधूरी दवात छोड़ी मैंने.....!! ......