कुछ कर्ज अभी उधार है....
किसी वक्त के तलबगार है.....
किसी दर्द की सीहन सी उठ आती है....
एक जहरीली दवा का इंतजार है....!!
खाक ही खाक सी है जिंदगी....
खाक भी क्या खाक है....
जिंदगी है की कोरी राख है....
एक और आग की उम्मीदें है...
एक और चिंगारी का इंतजार है.....
रास्ते पर ही तो रास्ता होना है....
सपनों को भी एक दिन सपना होना है....
फूटेगी....आंख.....इक दिन अंधेरों की....
खुलेगी चेतना इक दिन सवेरों की....
बस मेरे हार मानने की दरकार है....
कुछ कर्ज अभी उधार है....
किसी वक्त के तलबगार है.....
Nice 👍
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