उठ खड़ा हो....लगा मस्तक पर लहू...
ललकार तूफान को...
भाल पर लगा ले लाल....
जा भिड़ जा समंदर से....
खड़ा हो सामने खोल भुजाएं...
ये तूफान तुमसे होकर गुजरना नही चाहिए....
ये सिर इन साहिलों के आगे झुकना नहीं चाहिए....!!
उठ खड़ा हो....लगा मस्तक पर लहू...
काट दे नसें, अपने ठंडे खून की....
उबलेगा ये रक्त भी, भर मुट्ठी गर्म धूल की....
भैड़ियो के झुंड पर , दहाड़ किसी सिंघराज सा....
आसमान चीरती किसी बिजली की आवाज सा....
आवाज दे आगाज का, की ये सिलसिला रुकना नहीं चाहिए....
धरा पर से बरसों तक लहू का लाल रंग उतरना नहीं चाहिए
ये सिर इन साहिलों के आगे झुकना नहीं चाहिए....!!
उठ खड़ा हो....लगा मस्तक पर लहू...
जा भिड़ जा समंदर से.....
ये तूफान तुम्हारे अंदर से होकर गुजरना नहीं चाहिए....!!
#शर्मा_दीपू #sharmadeepu
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