मैं हर रात वीरान सड़कों की तलाशियों में मीलों मील निकल जाता हूं......
एक सुकून ढूंढने.....
जिन की खामोशी अंदर तक का सुकून देती है....
किसी बर्फीली रात में सुनसान सड़कों के किनारे पड़े पत्थर की तरह.....
जिस पर बरसों पहले वक्त की मार पड़ी थी....
जो टूटा था अपने पहाड़ के आंचल से....
जो आज धूल खा रहा है और मौन इस वीरान खामोशी के आगोश में आ गया है....!!
मैं हर रोज उस तारे के चमकने की कहानी पर मनन करता हूं की क्या खामोशी उसे अंदर से खाती होगी....
जो हर रात उसे अंदर ही अंदर जलाती होगी.....
खामोश ये तारा इंतजार में जलते उस दीपक के भांति है....
अफसोस जिनमें ईंधन खत्म नहीं होता.....!!
अफसोस की इंतजार की आखिरी घड़ी में आत्म समर्पण करने वाले तारे को देख दुनिया....मन्नतें मांगती है......!!
अफसोस की तारा फिर तारा नहीं हो सका....
अफसोस की खामोशी मरती नहीं....
ना जहन से.....ना जहान से.....!!
#sharma_deepu #apni_lekhni #poetry #hindi #hindi_poetry #khamoshi #veeranKhamoshi
No comments:
Post a Comment