MY WEBSITE

http://sharmadeepu.in/

Saturday, 27 March 2021

कहाँ

 झूठे बाजार में सच कहाँ बिकता है,

तूफानों में फानूस कहाँ टिकता है,

बादलों से सूरज कहाँ छिपता है

जनाब राजनीति में ईमानदार कहाँ टिकता है?

राजनीति में ईमानदार कहाँ टिकता है

कहाँ दिखता है अंत आकाश को

कहाँ दिखती है आस निराश को

कहाँ दिखता है अंधकार प्रकाश को,

सभ्यता कहाँ दिखती है विनाश को.

सफर कहां रुकता है....

मूर्ख कहां झुकता है?

संतोष कहां दिखता है आदमजात को?







No comments:

Post a Comment

Popular Posts

Featured Post

Click Bitz - अधूरी दवात

लिख लिख कलम भी तोड़ी मैंने, बात शब्दों की डोर से पिरोई मैंने। कोरा कागज और लहू का कतरा, बस यही एक अधूरी दवात छोड़ी मैंने.....!! ......