मुशीबतें जरुर है डगर में , मगर ठहरा नही हूं मैं,
कह दो जरा मंजिल से , अभी थका नही हूं मैं.......!
क़दमों को बाँध ना पायेगी , बेड़ियाँ दर्द की ,
कह दो जरा रस्तों से , अभी भटका नही हूं मैं.......!
जिस दिन सब्र का बांध टूटेगा, तो फ़ना कर के रख दूंगा,
कह दो जरा मेरे दुश्मनों से , अभी गरजा नही हूं मैं......!
अभी दिल में छुपा रखीं है ,बचपन की चाहतें ,
कह दो जरा वक्त से , अभी सम्भला नही हूं मैं........!
मेरे भी साथ चलता मेरे लिए दुआओं का काफिला ,
कह दो जरा उस नादान तकदीर से , अभी तन्हा नही हूं मैं......!
जय हिन्द जय भारत
वाह वाह
ReplyDeleteWa 👏👏👏👏
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