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Wednesday, 17 October 2018

कह दो जरा मंजिल से

मुशीबतें  जरुर है डगर में ,  मगर ठहरा नही हूं मैं, 
कह दो जरा मंजिल  से  , अभी थका  नही हूं मैं.......! 
क़दमों को बाँध ना पायेगी , बेड़ियाँ दर्द की ,
कह दो जरा रस्तों  से , अभी भटका नही हूं मैं.......!
जिस दिन सब्र का बांध टूटेगा, तो फ़ना कर के रख दूंगा,
कह दो जरा  मेरे दुश्मनों  से , अभी गरजा नही हूं मैं......!
अभी दिल में छुपा रखीं है ,बचपन की चाहतें ,
कह दो जरा वक्त से , अभी सम्भला नही हूं मैं........!
मेरे  भी साथ चलता  मेरे लिए  दुआओं का काफिला ,
 कह दो  जरा उस नादान तकदीर से , अभी तन्हा नही हूं मैं......!
जय हिन्द जय भारत 

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