#पत्रकारिता_जमात
सहिष्णुता और असहिष्णुता के इस भयंकर माहौल में दीवारों के कान लगाये बैठे पत्रकारों की एक जमात सर पर चमेली का तेल लगाये काला स्लेटी कोट पहने सुबह 5 बजे से रात्रि 11 बजे तक बाल की खाल से लेकर किम जोंग के हाथों में पहनी अंगूठी तक की चर्चा कर डालती है
इन्ही पत्रकारों की अलग अलग बिरादरी पायी जाती है,
जैसे सवांददाता, छोटा पत्रकार, एंकर, संपादक, बड़ा पत्रकार, विश्लेषक ओर अंतिम आते है राजनैतिक विश्लेषक!
1. संवाद्दाता- गली की नुक्कड़ पर पान वाले के जायके लेते लेते जो पत्रकार ससंद की खबरें फोन पर बता दे वो होते है संवाद्दाता
पत्रकारिता की पहली सीढ़ी पर बैठा ये वर्ग अपनी जिंदगी बारिश में नालियों की तथा बॉलीवुड में चल रही गालियों की कवरेज करने में बिताता है..
2. एंकर- मुँह पर मेकअप पोते लंबे स्ट्रेट बालों वाली खूबसूरत महिलाए इस वर्ग में प्रथम स्थान हासिल करती आई है
इसके आलावा चमेली के तेल की पुताई बालों पर करके विष्मयाबोधक मुखमण्डल लिए गंभीर मुद्दों पर कुछ जनमानुषों के मध्य वाकयुद्ध करवाने वाले पुरुष पत्रकार भी इसी वर्ग का हिस्सा है,
इनके कार्यक्षेत्र में एकमात्र न्यूज़रूम होता है जहां इनके सामने रखी स्क्रीन पर चल रहे वाक्यों को इन्हें पढ़ना होता है
फिर आते है
3. संपादक- इनका रुतबा संवाद्दाता से अधिक होता है,
ये वर्ग अपने प्रथम स्तर(संवाददाता स्तर) पर किये उत्कृष्ट कार्यों के आधार पर चुना जाता है,
यहीं वर्ग निर्धारित करता है की कोनसी खबर आज एंकर पढ़ेगा और कोनसी खबर आज नहीं चलानी,
कभी कभी खबरों के आभाव में इस वर्ग को जी तोड़ मेहनत करनी पड़ती है,
TRP और दौड़ में बने रहने के चक्कर में इस वर्ग को कुत्ते, बिल्ले, सांप, नेवले और कभी कभी आलौकिक मुद्दों पर भी इन्हें खबरें बनानी पड़ती है,
इनके सहयोगी के रूप में एक कम्प्यूटर और उसमे उपस्थित गूगल बाबा इनकी बखूबी मदद करते है
इस जमात की विशेष बात यह है की इनका कार्यक्षेत्र केवल एक कम्प्यूटर होता है परन्तु उसके माध्यम से ये चींटी से लेकर सूदूर ब्रम्हांड की जानकारी को भी अपने विचार बताकर प्रकट करने की क्षमता रखते है..
समय के आभाव में बाकि सब जमातों पर चर्चा तो नही कर सकता
पर अंतिम पर चर्चा अवश्य करूँगा
अंतिम जमात आती है राजनैतिक विश्लेषक
ये वर्ग रिटायर हो चुके अफसरों से लेकर रिटायर हो चुके पत्रकारों से अटी पड़ी है
वैसे तो यह वर्ग दैनिक रूप से पत्रकारिता में भाग नहीं लेता परन्तु चुनाव के नतीजों के समय इनके भावों में वृद्धि स्पष्ट देखने को मिलती है,
चुनाव नतीजों के समय यह वर्ग दो चार सादे कागज लेकर गंभीर मुद्रा में आकर सुबह 7 बजे कुर्सी ग्रहण करते है,
इनका पुरे दिन का खाना पानी उस चैनल द्वारा वहन किया जाता है जिनकी कुर्सी पर महोदय विराजमान होते है,
इनका कार्य रुझानों के उतार चढ़ाव के साथ साथ लाइव कमेंट्री देना होता है,
कहने को तो ये किसी पार्टी विशेष से ताल्लुक नहीं रखते परंतु रुझानों के उतार चढ़ाव के साथ साथ इनके चेहरों पर आ रहे उतार चढ़ावों को देखकर इनका सम्बन्ध किसके साथ है इसे समझा जा सकता है,
यह वर्ग अपने समस्त पत्रकारिता के अनुभवों को विश्लेषण के रूप में पूरे दिन भर बताते है,
तो श्रीमान ये था आज का मुद्दा पत्रकारिता
इनकी कुछ और जमाते भी पायी जाती है
जिनमे से एक और मुख्य है बिकाऊ पत्रकार....
इस मुद्दे पर बहोत जल्द लिखूंगा
जय हिन्द जय भारत
सहिष्णुता और असहिष्णुता के इस भयंकर माहौल में दीवारों के कान लगाये बैठे पत्रकारों की एक जमात सर पर चमेली का तेल लगाये काला स्लेटी कोट पहने सुबह 5 बजे से रात्रि 11 बजे तक बाल की खाल से लेकर किम जोंग के हाथों में पहनी अंगूठी तक की चर्चा कर डालती है
इन्ही पत्रकारों की अलग अलग बिरादरी पायी जाती है,
जैसे सवांददाता, छोटा पत्रकार, एंकर, संपादक, बड़ा पत्रकार, विश्लेषक ओर अंतिम आते है राजनैतिक विश्लेषक!
1. संवाद्दाता- गली की नुक्कड़ पर पान वाले के जायके लेते लेते जो पत्रकार ससंद की खबरें फोन पर बता दे वो होते है संवाद्दाता
पत्रकारिता की पहली सीढ़ी पर बैठा ये वर्ग अपनी जिंदगी बारिश में नालियों की तथा बॉलीवुड में चल रही गालियों की कवरेज करने में बिताता है..
2. एंकर- मुँह पर मेकअप पोते लंबे स्ट्रेट बालों वाली खूबसूरत महिलाए इस वर्ग में प्रथम स्थान हासिल करती आई है
इसके आलावा चमेली के तेल की पुताई बालों पर करके विष्मयाबोधक मुखमण्डल लिए गंभीर मुद्दों पर कुछ जनमानुषों के मध्य वाकयुद्ध करवाने वाले पुरुष पत्रकार भी इसी वर्ग का हिस्सा है,
इनके कार्यक्षेत्र में एकमात्र न्यूज़रूम होता है जहां इनके सामने रखी स्क्रीन पर चल रहे वाक्यों को इन्हें पढ़ना होता है
फिर आते है
3. संपादक- इनका रुतबा संवाद्दाता से अधिक होता है,
ये वर्ग अपने प्रथम स्तर(संवाददाता स्तर) पर किये उत्कृष्ट कार्यों के आधार पर चुना जाता है,
यहीं वर्ग निर्धारित करता है की कोनसी खबर आज एंकर पढ़ेगा और कोनसी खबर आज नहीं चलानी,
कभी कभी खबरों के आभाव में इस वर्ग को जी तोड़ मेहनत करनी पड़ती है,
TRP और दौड़ में बने रहने के चक्कर में इस वर्ग को कुत्ते, बिल्ले, सांप, नेवले और कभी कभी आलौकिक मुद्दों पर भी इन्हें खबरें बनानी पड़ती है,
इनके सहयोगी के रूप में एक कम्प्यूटर और उसमे उपस्थित गूगल बाबा इनकी बखूबी मदद करते है
इस जमात की विशेष बात यह है की इनका कार्यक्षेत्र केवल एक कम्प्यूटर होता है परन्तु उसके माध्यम से ये चींटी से लेकर सूदूर ब्रम्हांड की जानकारी को भी अपने विचार बताकर प्रकट करने की क्षमता रखते है..
समय के आभाव में बाकि सब जमातों पर चर्चा तो नही कर सकता
पर अंतिम पर चर्चा अवश्य करूँगा
अंतिम जमात आती है राजनैतिक विश्लेषक
ये वर्ग रिटायर हो चुके अफसरों से लेकर रिटायर हो चुके पत्रकारों से अटी पड़ी है
वैसे तो यह वर्ग दैनिक रूप से पत्रकारिता में भाग नहीं लेता परन्तु चुनाव के नतीजों के समय इनके भावों में वृद्धि स्पष्ट देखने को मिलती है,
चुनाव नतीजों के समय यह वर्ग दो चार सादे कागज लेकर गंभीर मुद्रा में आकर सुबह 7 बजे कुर्सी ग्रहण करते है,
इनका पुरे दिन का खाना पानी उस चैनल द्वारा वहन किया जाता है जिनकी कुर्सी पर महोदय विराजमान होते है,
इनका कार्य रुझानों के उतार चढ़ाव के साथ साथ लाइव कमेंट्री देना होता है,
कहने को तो ये किसी पार्टी विशेष से ताल्लुक नहीं रखते परंतु रुझानों के उतार चढ़ाव के साथ साथ इनके चेहरों पर आ रहे उतार चढ़ावों को देखकर इनका सम्बन्ध किसके साथ है इसे समझा जा सकता है,
यह वर्ग अपने समस्त पत्रकारिता के अनुभवों को विश्लेषण के रूप में पूरे दिन भर बताते है,
तो श्रीमान ये था आज का मुद्दा पत्रकारिता
इनकी कुछ और जमाते भी पायी जाती है
जिनमे से एक और मुख्य है बिकाऊ पत्रकार....
इस मुद्दे पर बहोत जल्द लिखूंगा
जय हिन्द जय भारत
No comments:
Post a Comment