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Wednesday, 31 January 2024

TUM POEM

 सुनो अगर तुम पास बैठो तो

तो मैंने 

कुछ अरमान जगाने है...

कुछ दर्द सुलाने है....!!

कुछ पंक्तियां लिखनी है.....

उन्हें तुम्हें सुनाना है......

फिर मैंने उन्हें मिटा देना है......

और दुबारा एक नई नज्म लिखनी है...

फिर तुम्हें सुनाना है....

फिर उसे मिटाना है....

फिर वही सिलसिला दोहराना है...

तब तक

जब तलक तुम्हारी आंखें भी पलकों का वजन उठाना मना कर दे...

जब तलक की तुम गहरी नींद में भी दाद देना बंद कर दो...!!!

ये अरमानों की गठरी समेट कर....

 मेने सपनों पर सिर रखकर सो  जाना है....

मेने ख्वाबों में तेरा हो जाना है...!!

जागने से पहले हमने मिलकर सपनों का शहर बसाना है....

बस अगर तुम पास बैठो तो....!!!!!!

अगर तुम पास बैठो तो......

तो....

मैंने एक धीमी अंगीठी जलानी है...

और तुम्हें कुछ बातें बतानी है...

एक दास्तान सुनानी है....!!

मुझे तुम्हारी hmmmm सारी रात सुननी है....

मुझे तुम्हारी, तुम्हे मेरी हर बात सुननी है....!!

मुझे आधी रात एक नशा करना है...

कप भरके ये जाम तेरे हाथ से बना होगा...

मुझे इस नशे को आखिरी बार करना है....

ये नशा आखिरी बार सुबह का पहले जाम होना है...

बस ये नशा फिर मैंने छोड़ देना है...

मेरा ये दूसरा प्यार मेने तोड़ देना है....

बस अगर तुम पास बैठो तो....!!!

अगर तुम पास बैठो तो.....

मैंने रात को दिन बनाना है...

मैंने हम दोनो का दिन बनाना है....!!

एक नया सवेरा लाना है....

चांद पर नया बसेरा बनाना है....!!

मुझे अपनी कलम से एक अधूरी कहानी पूरी करनी है....

एक नज्म में आखिरी शेर लिखने है......

मुझे हर पंक्ति में पूर्णविराम देना है....!!

मुझे तुम्हारी किताब का हर पन्ना पढ़ना है...

मैंने अपनी डायरी का हर पन्ना पलटना है....

मुझे तुम्हें बिना छुए....

तेरे हर अरमान पाने है....

तेरी आंखों के हर ख्वाब पाने है....

मुझे एक आखरी जाम पीकर नशेड़ी होना है....

अगर तुम पास बैठो तो.....!!!

अगर तुम पास बैठो तो.....

मैंने एक तस्वीर लेनी है....

मेरी लिखते हुए की....

तुम्हारी सुनते हुए की....

मुझे एक सेल्फी लेनी है....मेरे जज्बातों की.....

मैंने एक चादर बिछानी है....उस पर हाथ का तकिया बनाना है....

और तकिए पर तुम्हारे ख्वाब सुलाने है....

मुझे एक नीरस कविता में रस भरना है....

मुझे एक कविता को तुम्हारे सामने पढ़ना है ....

मुझे रंग भरना है....एक तस्वीर में....

जो धुंधली सी खो गई है...

दर्दों की दवा सी हो गई है...

मुझे एक खुशबू को रसासार करना है....

मुझे चुंबकीय ध्रुवों को एकाकार करना है....

अगर तुम पास बैठो तो.....!!!

अगर तुम पास बैठो तो.....


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