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Tuesday, 13 September 2022

मन गंगा (Man-Ganga)

 एक दरिया को गंगा होना है.....

मन को मन ही मन धोना है....

एक दरिया को गंगा होना है....!!

राख उड़ेगी मैले मन पर....

अंदर का बारूद जलाना है...

पहाड़ों से गिरकर इस नीरा को....

एक नया मैदान बनाना है....

मिट्टी से मिट्टी ले ले कर....

मिट्टी हवाले होना है....

एक दरिया को गंगा होना है....!!

पहाड़ों से नीचे गिरना है....

पत्थरों से रगड़कर सोना है ...

ठंडी कोमल धाराओं को.....

किसी यमुना सा मिलना है ....

आखर छोड़ मैदानों को.....

पारावर हवाले होना है.....

एक दरिया को गंगा होना है.....

मिट्टी से मिट्टी ले ले कर....

एक दरिया को गंगा होना है...!!

मन को मन ही मन धोना है....

एक दरिया को गंगा होना है....!

प्रीत, मीत की रीत यही है...

मन गंगा की जीत यही है...

जब मरना ही है आखर अर्णव में...

अंततः अंत समर्पण करना है...

जिंदगी की अंतिम धाराओं में....

नया सुंदर- वन बसाना है...

एक दरिया को गंगा होना है.....

मन को मन ही मन धोना है....

एक दरिया को गंगा होना है....!!

#sharma_deepu

#hindiDivas 

#hindiPoetry

#Ganga


1 comment:

  1. Bhawani Shankar sharma13 September 2022 at 21:24

    एक दरिया को गंगा होना ह..... क्या बात ह पटवारी जी
    अति सुन्दर

    ReplyDelete

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