ये लोग भी क्या कमाल करते है....
बिखरुं मैं, रोऊं मैं
मेरी आँखों पर, अपना रुमाल करते है....
ये लोग भी क्या कमाल करते है....
हंस लूं तो , हंसता क्यों है?
रोऊं तो, इतना कमजोर क्यों है?
लिखूं कुछ, तो लिखता क्यों है?
कामयाब हो जाऊं, तो कामयाब क्यों है?
मेरे घर जले चूल्हा, और लोग मलाल करते है...
ये लोग भी क्या कमाल करते है....
यहां दुनिया सिखाती है कि जीना कैसे है
अश्कों को आंख में ही बुझाना कैसे है...
खुद रहे निरक्षर जिंदगी भर,
और दूसरों को सवाल करते है....
ये लोग भी क्या कमाल करते है....
ज्ञान देते है, सीख देते है...
खुद के हाथ कटोरा, दूसरों को भीख देते है...
अपने गिरेबान में झांकने को राजी नहीं है लोग..
जमाने में बवाल करते है....
ये लोग भी क्या कमाल करते है....
खुद काटते है भगवान भरोसे...
बाकी जमाने की झूठी फिक्र तमाम करते है...
ये लोग भी क्या कमाल करते है....
ये दूध के धुले लोग, दाल में भी काला बताते है....
झूठ मिलाते है खबरों में, सच भी आधा बताते है..
ये खुद को खुद्दार बताने वाले लोग,
पैसों के लिए जूतियां भी चाट कर साफ करते है....
ये लोग भी क्या कमाल करते है...
ये मेरे कदमों पर चलने वाले....
आज मेरी पीठ पर, मुझही को बदनाम करते है...
हे भगवान, ये क्या ही कमाल करते है.....
Nice line 100% relevant to real life.......keep it up bro 👍
ReplyDelete👌🏽👌🏽 ati sundr
ReplyDeleteNice👌👌😍😍
ReplyDeleteअति सुन्दर प्रस्तुति 🙏🙏
ReplyDeleteWah wah Kya bat h, super 👍
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