चल आ, तुम्हें एक गजब का मंजर दिखाता हूं.....
रख कंधे पर हाथ, तुम्हें मैं पीठ के खंजर दिखाता हूं....
मैं प्यासा रहा हूं सदियों से इस वीरान टापू पर....
चल आ, मेरे चारों तरफ नमक का समंदर दिखाता हूं.....!!
चोटियों पर बैठा हूं, पैरों में सफर के छाले लिए....
क्या देखता है घटाओ की ओर,
चल आ , तूफान तुम्हें मेरे अंदर दिखाता हूं........!!
चल आ तुम्हें मैं गजब का मंजर दिखाता हूं....!!
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