MY WEBSITE

http://sharmadeepu.in/

Monday, 1 June 2020

पँछी

 

मंत्रमुग्धी माया पर पहरा,
नींद उडार, भय का सहरा..
लोभ ललक के लोलुप मानस,
संकट तुझ पर छाया गहरा.....!!
लगाई तुम्हारी लपट ऊंची है,
तुझ तन मुझ तक लाट पहुंची है ....!!
मेरी आत्म दुखाने वालो
कैसा रहा तुम पर lockdown का पहरा?..!!
लोभ ललक के लोलुप मानस,
संकट तुझ पर छाया गहरा.....!!
तक तक लिखता चोट सुनहरी
पाप घड़े का था तूं प्रहरी,
अब टंकार करेगा दानुष,
रुष्ट काल को मनाले मानुष
काल निगाहे टिकाये ठहरा....!!
लोभ ललक के लोलुप मानस,
संकट तुझ पर छाया गहरा..........!!
लाल लहू आंखों में आन बसा है....
निर्लज लोभी मानव शहरो में आन फसा है....
कर खुशी से चोट मुझ पर....
एक दिन मेरी भी आंखें में सैलाब आएगा....
मेरी चोटों से फिर कौन तुम्हे बचाने आएगा
खोद खोद खोद मेरे लिए कुँवा गहरा....
लोभ ललक के लोलुप मानस,
संकट तुझ पर छाया गहरा.....!!


 by - #ShaRma_DeEpu

2 comments:

Popular Posts

Featured Post

Click Bitz - अधूरी दवात

लिख लिख कलम भी तोड़ी मैंने, बात शब्दों की डोर से पिरोई मैंने। कोरा कागज और लहू का कतरा, बस यही एक अधूरी दवात छोड़ी मैंने.....!! ......