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Saturday, 18 April 2020

ख़ैर

आओ उतरें इस बदजुबान समुन्दर  में, जो बघारे शेखियाँ कि मै गहरा हूँ...
मैं जो नाप आया तह इसकी, ख़ैर मौला खैर करे मैं तो बहरा हूँ.....!!
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Click Bitz - अधूरी दवात

लिख लिख कलम भी तोड़ी मैंने, बात शब्दों की डोर से पिरोई मैंने। कोरा कागज और लहू का कतरा, बस यही एक अधूरी दवात छोड़ी मैंने.....!! ......