सन्नाटा आज चीख क्यों रहा है??
आँचल प्रकृति का भीग क्यों रहा है??
मन्द मन्द जंगल मुस्कुरा क्यों रहा है??
ये इंसान जात आज रो क्यों रहा है??
मुझ पर हंसने वालो,
तुम पर क्या बीत रही है?
मैं सब कुछ लौटाती हूँ,
यही मेरी रीत रही है!
पैसा दौलत पद शोहरत,
मांगे मुझसे रोज मौहलत!
तिल तिल कहर,चारों पहर
मुझपर बसाया तूने शहर,
मैं सूत समेत लौटाती हूँ,
यही मेरी रीत रही है!!
हां तो अब तुम पर क्या बीत रही है??
मनन करो
मनन करो....
आँचल प्रकृति का भीग क्यों रहा है??
मन्द मन्द जंगल मुस्कुरा क्यों रहा है??
ये इंसान जात आज रो क्यों रहा है??
मुझ पर हंसने वालो,
तुम पर क्या बीत रही है?
मैं सब कुछ लौटाती हूँ,
यही मेरी रीत रही है!
पैसा दौलत पद शोहरत,
मांगे मुझसे रोज मौहलत!
तिल तिल कहर,चारों पहर
मुझपर बसाया तूने शहर,
मैं सूत समेत लौटाती हूँ,
यही मेरी रीत रही है!!
हां तो अब तुम पर क्या बीत रही है??
मनन करो
मनन करो....
#korona #प्रकृति
Kya likha hai Bhai 😍😍😍😘😘😘
ReplyDeleteLove from ADARSH GAMING
Dhanywad aadrsh bhaii, jude rahiye
ReplyDeleteहार्ट टचिंग लाईने 🏝🌍
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