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Thursday, 11 October 2018

अखरता ही रहूंगा

अखरता हूँ, अखरता रहूंगा दुनिया की नजर में,
मैं बढ़ता हूँ, बढ़ता ही रहूंगा....
मैं सीखता हूँ, सीखता ही रहूंगा...
जिद्द करके चला हूं, एक दिन जरूर पा लूंगा ए मंजिल तुझे...
चाहे लाख रुकावटें हो मेरे सफर में....।।।
हां मैं अखरता हूं, अखरता ही रहूंगा दुनिया की नजर में
सपने बुनता हूं, बुनता रहूंगा..
लिख के तकदीर अपने हाथों से, ऐ ख़ुदा मैं तुमसे लड़ता रहूंगा...
लाख बार सम्भाल लूंगा खुद को ,
गिरूं अगर जोश में...
बस गिर ना जाऊ मौला...खुद की ही नजर में....
अखरता हूँ.. अखरता ही रहूंगा......
जय हिंद जय भारत

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