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Thursday, 4 October 2018

भूत ,वर्तमान और भविष्य


इस कदर वीरान हुई जिंदगी मेरी,
     जैसे पारावार मैं भयंकर बरसात हुई हो...
कुछ यूं टूटा तिमिर मुझ पर
     जैसे बरसों बाद आज रात हुई हो...!!
कुछ यूं बदला फिर माहौल मैंने,
             जैसे मुर्दे को संसार मिला हो....
कुछ यूं बरसी मेरी मेहनत मुझ पर
             जैसे लोहे से पारस मिला हो....!!
कुछ यूं संवारनी है जिंदगी मैंने,
       जैसे पूरे तालाब में कमल खिला हो
कुछ यूं जीना है  वक्त को मैंने
        जैसे अभिमन्यू को जीवनदान मिला हो....!!
जय हिंद, जय भारत

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