इस कदर वीरान हुई जिंदगी मेरी,
जैसे पारावार मैं भयंकर बरसात हुई हो...
कुछ यूं टूटा तिमिर मुझ पर
जैसे बरसों बाद आज रात हुई हो...!!
कुछ यूं बदला फिर माहौल मैंने,
जैसे मुर्दे को संसार मिला हो....
कुछ यूं बरसी मेरी मेहनत मुझ पर
जैसे लोहे से पारस मिला हो....!!
कुछ यूं संवारनी है जिंदगी मैंने,
जैसे पूरे तालाब में कमल खिला हो
कुछ यूं जीना है वक्त को मैंने
जैसे अभिमन्यू को जीवनदान मिला हो....!!
जय हिंद, जय भारत
bhai bhot acha likhte ho
ReplyDeleteधन्यवाद भाई, जुड़े रहिये
ReplyDeleteSweet
ReplyDeleteधन्यवाद भाई, जुड़े रहिये
ReplyDeleteवाह
ReplyDeleteधन्यवाद श्रीमान, जुड़े रहिये
ReplyDelete