मेरा दर्द मेरे लफ़्ज़ों में बह रहा...
मेरे हाथों की उलझी लकीरें,
मैं फकीरा मेहनत भरोसे बैठा रहा....!!
तारों से टकराती मंजिल मेरी,
मैं कूपमंडूक बना रहा...
कुछ बेमौसम ही बरस चले,
मैं भरे सावन में भी प्यासा रहा...!!
सिकुड़ रही मेरी ख़्वाइशों की सीमा,
यूँ समझ की मैं बादल बनकर प्यासा रहा....
'एक दिन कुछ यूं बदलेंगे हालात'....
वो ढ़ोते रहे घुप अंधेरे,
मैं दीपक बनकर जलता रहा...!!
में दीपक बनकर जलता रहा...!!
वो ढ़ोते रहे घुप अंधेरे,
मैं दीपक बनकर जलता रहा...!!
में दीपक बनकर जलता रहा...!!
आशाओं के दीप बुझते रहे,
मैं मेहनत से तकदीर बनाता रहा....
कमजोर हो चुकी मन की दीवारें
यूं समझो की मैं तूफानों में भी नाव चलाता रहा....
अब यूं बदलेंगे समय के पहिए....
वो फंसे रहे निराशाओं के अंधियारे में.....
मैं उम्मीदों का दीपक लेकर चलता रहा....
मैं उम्मीदों का दीपक लेकर चलता रहा.....!!
#शर्मा_दीपू
#मेरी_आशाओं_का_दीपक
#अपने_ग़म
#मेरे_ग़म
#clickInBitz
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#kumaresh
#sharma_deepu
#deepak
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Badiya :)
ReplyDeleteधन्यवाद पीयूष भाई
Deleteजुड़े रहिये
Deleteशानदार
ReplyDeleteधन्यवाद भाई, जुड़े रहिये
ReplyDeleteSiraaa
ReplyDeleteधन्यवाद श्रीमान, जुड़े रहिये
ReplyDeleteAtt
ReplyDeleteधन्यवाद भाई, जुड़े रहिये
ReplyDelete🎂💐💐💐💐
ReplyDeleteधन्यवाद
DeleteGood
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