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Wednesday, 10 October 2018

तेरी यादें

गम....   मैं जब भी तराजू में तोलता हूँ ,
तेरी यादों की  गठरी  जब भी खोलता हूँ.......
महक उठती है आखें अश्कों से,
जुबां से जब भी तेरा नाम  बोलता हूँ...
घर कर गया तेरा जहर नसों में
मैं साहिल सौफी..... फिर सारी रात नशे में डोलता हूँ......


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